गैस्ट्रिक कैंसर से कैसे करें बचाव?
Gastric Cancer Prevention in Hindi: कैंसर के खतरनाक प्रकारों में एक पेट का कैंसर भी शामिल है, जिसे गैस्ट्रिक कैंसर भी कहा जाता है. गैस्ट्रिक कैंसर पेट की सेल्स में होने वाली ग्रोथ से शुरू होता है. गैस्ट्रिक कैंसर में पेट की सेल्स के DNA में छोटे-छोटे चेंजेस होते हैं, जो इसे बढ़ाने के लिए उकसाते हैं. इसके बाद ये स्टोर होने लगते हैं, जिससे सेल्स में एब्नॉर्मल ग्रोथ होना शुरू हो जाती है और यही ट्यूमर का रूप ले लेती है.
आज हम आपको डॉ. सौरभ कालिआ द्वारा कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं, जिसकी मदद से आप पेट के कैंसर के रिस्क (Risks – Gastric Cancer Prevention in Hindi) को कम कर सकते हैं.
पेट के कैंसर से ऐसे बचें: Gastric Cancer Prevention in Hindi
निचे दिए गए टिप्स में से कुछ आपको अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करना है अथवा कुछ टिप्स को ध्यान में रखकर परहेज करना हैं. डॉ सौरभ के लिए, सुप्रशिद्ध Gastric Cancer Surgeon in Jaipur द्वारा बताई गयी टिप्स है : –
1. क्रूसिफेरस सब्जियां
पत्तागोभी, ब्रोकोली, ब्रुसेल्स स्प्राउट्स, चॉय, शलजम, फूलगोभी, मूली और वसाबी जैसी क्रूसिफेरस सब्जियों को खाने से पेट के कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिलेगी. क्योंकि इन में सल्फोराफेन जैसे फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं और इन फाइटोकेमिकल्स में एंटी-कैंसर गुण होते हैं.
2. लहसुन
लहसुन में एलिसिन पाया जाता है. इस एलिसिन में एंटी-कैंसर गुण होते हैं. यही वजह है कि लहसुन का सेवन करके कैंसर जैसी घातक बीमारी को मात दी जा सकती है.
3. साइट्रस फ्रूट्स
अंगूर, संतरे और नींबू जैसे साइट्रस फ्रूट्स में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इनका सेवन करने से पेट के कैंसर के रिस्क को कम किया जा सकता है. फ्रंटियर्स इन फिजियोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च से मालूम चलता है कि विटामिन सी कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है.
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4. प्रोसेस्ड मीट
प्रोसेस्ड मीट को पेट के साथ-साथ बॉवेल कैंसर से भी जोड़ा गया है. रेड मीट को ग्रुप 2A कार्सिनोजेन में वर्गीकृत किया गया है, जिसका मतलब है कि ये कैंसर पैदा करने की वजह बन सकता है. अगर आप इससे परहेज करेंगे तो पेट के कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है.
5. कार्बोनेडेट ड्रिंक्स का सेवन
कार्बोनेटेड ड्रिंक में घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड होती है, जो आपके पेट में शरीर के तापमान को गर्म करने पर गैस बन जाती है। कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने से बार-बार डकार आ सकती है क्योंकि आपका पेट कार्बन डाइऑक्साइड गैस के कारण फैलता है।
इसके अलावा इन ड्रिंक्स में शुगर की मात्रा भी ज्यादा होती है जो कि गैस का कारण बन सकती है और शरीर में सूजन भी पैदा कर सकती है। इसलिए कोशिश करें कि कार्बोनेडेट ड्रिंक्स का सेवन कम करें।
6. स्मोकिंग
स्मोकिंग करना शरीर के लिए कई प्रकार से नुकसानदेह हो सकता है। सिगरेट पीने से फेफड़े और श्वसन तंत्र ही नहीं पूरे शरीर पर असर पड़ता है।जब धुआं शरीर में जाता है, तो वह पेट और आंतों में भी जाता है।
तम्बाकू पाचन तंत्र के लिए एक अड़चन है जो सूजन, ऐंठन, गैस और पेट में गड़गड़ाहट का कारण बन सकता है। इसके अलावा ये डाइजेस्टिव जूस का भी नुकसान करता है जिकसे कारण खाना आसानी से नहीं पचता और पेट में लंबे समय के लिए गैस की समस्या रहती है।
7. अघुलनशील फाइबर का ज्यादा सेवन
अघुलनशील फाइबर पानी में नहीं घुलता है और इसलिए कोलन बैक्टीरिया द्वारा सही से नहीं पच पाता है। ऐसे में फूड्स का सही से ना पच पाना गैस का कारण बनता है। जैसे कि बीन्स, पत्तोगोभी, ब्रोकली और दालों का सेवन गैस पैदा करता है।
इसके अलावा लंबे समय के लिए इसका ना पच पाना शरीर के लिए कई अन्य परेशानियों को कारण भी बन सकता है। जैसे तेज पेट दर्द इसलिए अघुलनशील फाइबर का ज्यादा सेवन करने से बचें। डॉ सौरभ कालिआ, सर्वश्रेष्ठ तकनीकों के साथ उच्च स्तर की Hernia Surgery in Jaipur के लिए भी प्रसिद्ध हैं.
8. बहुत तेजी से खाने या पीने से-
बहुत तेजी से खाने या पीने से एरोगैफिया की समस्या हो सकती है। इसमें हवा का अधिक निकल लेना गैस का कारण बन सकता है। इससे शरीर में सूजन हो सकती है। साथ ही ये ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है।
यह आमतौर पर तेजी से खाने या पीने, च्युइंग गम चबाने, धूम्रपान करने के कारण होता है। इसके अलावा बेल्चिंग वह तरीका है जिससे सबसे अधिक निगली जाने वाली हवा पेट से निकलती है। शेष गैस आंशिक रूप से छोटी आंत में अवशोषित हो जाती है और थोड़ी मात्रा बड़ी आंत में चली जाती है और मलाशय के माध्यम से निकल जाती है।
डॉक्टर के बारें में – Dr. Saurabh Kalia
डॉ. सौरभ कालिया जयपुर, भारत में एक बेहद अनुभवी Gastric Cancer Surgeon in Jaipur हैं , जो वर्तमान में सीके बिड़ला अस्पताल, जयपुर में अतिरिक्त निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। चिकित्सा क्षेत्र में 13 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ, उन्होंने सर्जरी के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता के लिए मान्यता प्राप्त की है, विशेष रूप से उन्नत लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, जीआई कैंसर, बेरिएट्रिक और मेटाबोलिक सर्जरी के साथ-साथ अग्न्याशय, यकृत, पित्ताशय के क्षेत्र में , कोलोरेक्टल, और जीआई आघात सर्जरी।
उनके पास उच्च-स्तरीय और जटिल गैस्ट्रोएसोफेगल, लीवर, अग्नाशय और कोलन सर्जरी करने का प्रत्यक्ष अनुभव है। डॉ. सौरभ बैरिएट्रिक सर्जरी (वजन घटाने की सर्जरी) और अन्य मेटाबोलिक सर्जरी करने में भी कुशल हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: Gastric Cancer Prevention in Hindi
1. पेट के कैंसर के लिए नंबर 1 जोखिम कारक क्या है?
पेट के कैंसर का प्राथमिक जोखिम कारक हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच. पाइलोरी) बैक्टीरिया से संक्रमण है। यह जीवाणु पेट की परत में पुरानी सूजन पैदा कर सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। अन्य जोखिम कारकों में पेट के कैंसर का पारिवारिक इतिहास, धूम्रपान, नमकीन और स्मोक्ड खाद्य पदार्थों में उच्च आहार और कुछ आनुवंशिक कारक शामिल हैं।
2. पेट का कैंसर कब तक पता नहीं चल पाता?
पेट के कैंसर का पता न चल पाने की अवधि व्यक्ति-व्यक्ति में अलग-अलग होती है और यह कैंसर की अवस्था और व्यक्तिगत लक्षणों जैसे कारकों पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में, इसका महीनों या वर्षों तक पता नहीं चल पाता है।
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3. पेट के कैंसर की सर्जरी के बाद मुझे क्या उम्मीद करनी चाहिए?
पेट के कैंसर की सर्जरी के बाद, आप एक रिकवरी अवधि की उम्मीद कर सकते हैं जो सर्जरी की सीमा और आपके समग्र स्वास्थ्य के आधार पर कई सप्ताह या उससे अधिक समय तक चल सकती है।
सर्जरी के बाद के सामान्य अनुभवों में दर्द और असुविधा, आहार परिवर्तन और पोषण संबंधी सहायता की आवश्यकता की संभावना शामिल है। निगरानी और संभावित कीमोथेरेपी या विकिरण चिकित्सा सहित अनुवर्ती देखभाल, अक्सर उपचार योजना का हिस्सा होती है।